आईपीएस एकेडमी, इंदौर के सिल्वर जुबली ईयर के अवसर पर रसायन शास्त्र विभाग द्वारा "ग्रीन केमेस्ट्री: ओंनसेट ऑफ बेटर लिविंग" विषय पर एक अन्तराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा को माल्यर्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया। अतिथि श्री राम मोहन का स्वागत प्रचार्य डॉ प्रेमलता गुप्ता ने पुष्प गुच्छ भेंट किया।
इस अन्तराष्ट्रीय सेमिनार में प्रमुख वक्ता अमेरिका की इलिनोइस वेसलियान विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राम मोहन रहे। सेमिनार को सम्बोधित करते हुए डॉ राम मोहन ने बताया कि किस प्रकार ग्रीन केमेस्ट्री के उपयोग से मानवो को बेहतर जीवन हेतु सुरक्षित एवं स्वच्छ वातावरण प्राप्त होता है।
सेमीनार में विषय की गम्भीरता को प्रस्तुत करते हुए श्री राम मोहन ने पर्यवरण प्रदूषण के कारण विश्व में हुई विभिन्न त्रासदियों को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया।
सिलिकोसिस नामक बीमारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सिलिका डस्ट से होंने वाली इस बीमारी में भारत के एक करोड़ लोग प्रभावित है एवं अलीराजपुर एवं धार जिलों में पिछले कुछ महीनों में इस बीमारी के कारण 550 से ज्यादा लोगो की मृत्यु हो गई। श्री मोहन ने बताया कि भारतीय जनता को जितना खतरा पाकिस्तान से नही है उससे कहीं ज्यादा खतरा पर्यवरण प्रदूषण से है।
ग्रीन केमेस्ट्री को समझाते हुए श्री राम मोहन ने बताया कि यह 12 प्रिंसिपल पर आधारित है जिसका मुख्य उद्देश्य ऐसी तकनीकों का विकास करना जिससे कम कीमत पर सुरक्षित रसायन उपलब्ध हो सके।
उन्होंने प्रयोगशाला में कम हानिकारक रसायनों का प्रयोग करने पर जोर देकर कहा कि इस तरह हम देश के करोड़ो रूपये बचा सकते है।
प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के बारे में चर्चा करते हुए श्री राम मोहन ने कहा कि 1950 से अब तक करीब 900 करोड़ टन प्लास्टिक उत्पादन हो चुका है जो कि बायोडिग्रेडेबल नही है और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रहा है।
कीटनाशकों का प्रयोग पर वे कहते है कि देश मे कैंसर का सबसे कारण कीटनाशक ही है आप ने ऑर्गेनोफोस्फेट का उपयोग कम से कम करने पर जोर दिया।